Engineering College in India

अगर कोई आपसे पूछे कि दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर हर साल कहां से निकलते हैं? विश्व में सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज कहां हैं? देश को अभी कितने इंजीनियर और उन्हें बनाने वाले इंजीनियरिंग कालेजों की वाकई जरूरत है? आपका क्या जवाब देंगे? इसका जवाब देने से पहले आइए कुछ जरूरी जानकारियां ले लेते हैं. देश में इंजीनियरिंग के लिए पढ़ाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या में कमी आ रही है. देश में 6 हजार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और 20 लाख सीटें हैं, लेकिन ये सीटे खाली छूट रही हैं. कॉलेज को बंद होने से रोकने के लिए वो खुद को कंप्यूटर साइंस में अपग्रेड कर रहे हैं कोर ब्रांचेज मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल में युवा जाना ही नहीं चाहते. बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जाती हैं. सबको केवल और केवल कंप्यूटर साइंस पढ़ना है. कालेज लगातार बंद हो रहे हैं. जो चल रहे हैं वे खुद को अपग्रेड कर रहे हैं.भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज हैं. यहां सबसे ज्यादा इंजीनियर हर साल निकलते हैं. इंजीनियरिंग फील्ड के जानकार बताते हैं कि अभी अपने देश में कोई भी इंफ्रा बढ़ाने की जरूरत नहीं है. बल्कि जो हैं, उसे ठीक करने की आवश्यकता है. बिना Aerospace, Mechanical, Automobile, Industrial Engineering, Civil के बिना भारत धनी देश तो बन सकता है लेकिन विकसित नहीं. अभी देश में न तो इंजीनियरिंग कालेज की जरूरत है और न ही सीट बढ़ाने की. जरूरत है कोर्स को समय के अनुरूप बनाने की. जरूरत है इंटर डिसिप्लिनरी एक्टिविटीज को करने की. जरूरत है कोर ब्रांचेज में सुधार करने की. आज हालत यह है कि टॉप आईआईटी को छोड़ दें तो स्टूडेंट आईआईटी में कोर ब्रांच में एडमिशन लेने की बजाय किसी और कमतर संस्थान में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन ले रहा है.नई तकनीक के लिए हमें इंजीनियरों को तैयार करने का समय है. कोर सेक्टर स्टार्ट-अप्स में इनोवेटिव थिंकिंग के स्टूडेंट्स नहीं मिल पा रहे हैं, जो इंटर्नशिप कर सकें. जबकि इंडस्ट्री को जरूरत है. देश में एक नया स्टार्ट-अप्स इको सिस्टम बना हुआ है तो मांग भी रहने वाली है.समय की मांग है कि करिकुलम भी अपडेट हों. टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से बदल रही है, कोर्स भी उसी तेजी से बदलना होगा. अन्यथा, भारतीय इंजीनियरों का नाम खराब होने में समय नहीं लगेगा. इंजीनियरिंग मस्ती-मजाक की जगह बनती जा रही है. इसका देश और दुनिया के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है. हमें इस तरह सोचना होगा. इसके लिए कालेज, यूनिवर्सिटीज, राज्य एवं केंद्र सरकार को अलग सोचना होगा.

  • भारत: 6,000 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ, भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हैं।
  • चीन: चीन में भी बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, अनुमानित संख्या 4,000 से अधिक है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में लगभग 1,700 इंजीनियरिंग स्कूल हैं।

हर साल सबसे ज्यादा इंजीनियर कहां से निकलते हैं:

  • भारत: भारत में हर साल लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग स्नातक निकलते हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
  • चीन: चीन में हर साल लगभग 10 लाख इंजीनियरिंग स्नातक निकलते हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में हर साल लगभग 4 लाख इंजीनियरिंग स्नातक निकलते हैं।

आंकड़ों की जुबानी समझें हाल

देश में करीब 5900 इंजीनियरिंग कालेज हैं, इनमें 20 लाख सीटें हैं, जिसमें आधी खाली रहती हैं.

कालेज एवं सीटों के हिसाब से टॉप पांच राज्य

1-महाराष्ट्र 849 / 2.37 लाख सीटें     2-तमिलनाडु 727 / 3.34 लाख सीटें  3-उत्तर प्रदेश 527 / 1.43 लाख सीटें 4-मध्य प्रदेश 524 / 1.69 लाख सीटें 5-आंध्र प्रदेश 517 / 2.30 लाख सीटें.

राष्ट्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या और उपलब्ध सीटें

आईआईटी-23 / 16500 सीटें , एनआईटी-31 / 15500 सीटें,  आईआईआईटी-26 / 6000 सीटें

इन सबके अलावा देश भर में बड़ी संख्या में सरकारी एवं निजी पालिटेक्निक संस्थान भी उपलब्ध हैं, जो इंजीनियरिंग की शिक्षा दे रहे हैं. अकेले उत्तर प्रदेश में 154 सरकारी पालिटेक्निक, 19 एडेड और 1294 निजी पॉलिटेक्नीक संस्थान उपलब्ध हैं. सीटें इनकी भी नहीं भर रही हैं.

क्या भारत को इतने इंजीनियरों की ज़रूरत है?

  • विवाद: इस सवाल का कोई आसान जवाब नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में पहले से ही बहुत अधिक इंजीनियर हैं, जबकि अन्य का मानना है कि देश को बुनियादी ढांचे और विकास को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक इंजीनियरों की आवश्यकता है।
  • गुणवत्ता पर ध्यान: संख्या से अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इंजीनियरिंग स्नातकों की गुणवत्ता क्या है। भारत में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रतिष्ठा खराब है, और उनके स्नातक नियोक्ताओं के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।
  • कौशल का अभाव: कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि कोर इंजीनियरिंग (मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल), योग्य इंजीनियरों की कमी है।
  • नई तकनीक: नई तकनीकों के आगमन के साथ, इंजीनियरों को लगातार सीखने और अनुकूलन करने की आवश्यकता होती है। शिक्षा प्रणाली को इन परिवर्तनों के साथ तालमेल रखने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

  • भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
  • शिक्षा को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
  • छात्रों को न केवल तकनीकी कौशल बल्कि महत्वपूर्ण सोच और समस्या समाधान कौशल भी विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को शिक्षा और अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये जटिल मुद्दे हैं जिनके कई पहलू हैं। यह लेख केवल कुछ विचारों को प्रस्तुत करता है।

 

 

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