उत्तर प्रदेश: 48 निजी आईटीआई को मान्यता नहीं मिलने से छात्रों का भविष्य अधर में!

48 निजी आईटीआई जिनमें नलकूप, सिलाई-कढ़ाई, हिंदी टंकण और आर्मेचर वाइंडर जैसे ट्रेड सिखाए जाते हैं, उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा मान्यता नहीं दी जा रही है।

समाज कल्याण विभाग ने यूपी के 48 निजी आईटीआई को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। इससे वहां पुरानी विधा सीख रोजगार हासिल करने का सपना देख रहे छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है। इन प्राइवेट आईटीआई को मान्यता न मिलने से 1500 से अधिक छात्र-छात्राओं की मेहनत व्यर्थ हो जाएगी। यह वे छात्र हैं, जो नलकूप, सिलाई-कढ़ाई, हिंदी टंकण और आर्मेचर वाइंडर जैसे ट्रेडों में प्रशिक्षण ले चुके हैं या ले रहे हैं।

यूपी में संचालित निजी आईटीआई को 1970 से समाज कल्याण विभाग की ओर से मान्यता दी जाती थी। 2016 के बाद इन आईटीआई को समाज कल्याण विभाग की ओर से मान्यता मिलनी बंद हो गई। वजह थी मान्यता के लिए कौशल विकास मिशन के मानकों को पूरा करना। शर्त पूरा करने वाली आईटीआई, एनसीवीटी (नैशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग) और एससीवीटी (स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग) से मान्यता लेंगी। इन संस्थानों से मान्यता के बाद उन्हें अनुदान समेत अन्य सरकारी सुविधाएं मिलेंगी। इस शर्त के बाद से यूपी के 48 आईटीआई में नलकूप, सिलाई-कढ़ाई, हिंदी टंकण और आर्मेचर वाइंडर जैसे ट्रेडों में मान्यता नहीं मिल रही है।

मान्यता को लेकर आईटीआई संचालक शासन से लेकर समाज कल्याण निदेशालय तक के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। छात्रों को डर सता रहा है कि मान्यता नहीं मिली तो उनका कोर्स करना व्यर्थ जाएगा।

समाज कल्याण निदेशक कुमार प्रशांत ने स्वीकार किया कि निजी आईटीआई की मान्यता 2017 से बंद है। मानक पूरे न होने की वजह से मान्यता नहीं हो पा रही है। कौशल विकास मिशन के तहत अगर आईटीआई अपने को अपग्रेड करती हैं तो उसका लाभ उन्हें शासन से मिलेगा।

प्रभावित:

  • 1500 से अधिक छात्र-छात्राएं
  • जिनका भविष्य अब अनिश्चित है

मुख्य कारण:

  • मानक पूरे नहीं करना:

o             2016 से लागू कौशल विकास मिशन के मानकों को पूरा करना अनिवार्य

o             एनसीवीटी (नैशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग) और एससीवीटी (स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग) से मान्यता प्राप्त करना आवश्यक

  • वित्तीय सहायता की कमी:

o             मान्यता प्राप्त संस्थानों को ही अनुदान और सरकारी सुविधाएं मिलती हैं

वर्तमान स्थिति:

  • आईटीआई संचालक अधिकारियों से मिल रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा है।
  • छात्र चिंतित हैं, उन्हें डर है कि उनका प्रशिक्षण व्यर्थ हो जाएगा।

समाधान:

  • आईटीआई को मानकों के अनुरूप अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को इन संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।
  • छात्रों को वैकल्पिक शिक्षा और रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

विद्या लाइव का मानना है कि शिक्षा हर किसी का अधिकार है और सरकार को सभी छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

अतिरिक्त जानकारी:

  • एनसीवीटी: https://ncvte.ac.in/
  • एससीवीटी: [अमान्य यूआरएल हटाया गया]
  • कौशल विकास मिशन: https://www.msde.gov.in/

नोट:

  • यह उत्तर केवल जानकारीपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
  • नवीनतम जानकारी के लिए, हमेशा आधिकारिक विभागीय वेबसाइटों देखें।

 

 

 

 

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