शिक्षा पर AI का प्रभाव –
आजकल AI का का प्रयोग हरेक क्षेत्र में काफी ज्यादा बढ़ गया है। चाहे शिक्षा हो या अन्य कार्य, लोग AI के प्रयोग पर विश्वास कर रहे हैं। आज के इस ब्लॉग में हमलोग AI के बारे जानेंगे साथ ही यह भी जानेंगे कि यह शिक्षा के क्षेत्र में किस तरह से अपनें प्रभाव को बढ़ा रहा है।
सबसे पहले जानते है AI क्या है ?
AI या कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है जो कंप्यूटरों और मशीनों को Human Intelligence और Problem-Solving Abilities का Imitation करने में सक्षम बनाती है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी, किंतु इसका तेजी से विकास 1970 के बाद शुरु हुआ। नवंबर 2022 में चैटजीपीटी नामक OPEN एआइ चैटबाट के अस्तित्व में आने के बाद AI के क्षेत्र में निस्संदेह एक क्रांतिकारी बदलाव हुआ है।
अब बात करते हैं Artificial Intelligence का शिक्षा पर प्रभाव के बारे में –
Artificial Intelligence ने शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रकार से प्रभाव डाला है: –
1. Personalized Learning – AI के उपयोग से स्टूडेंट्स की व्यक्तिगत जरूरतों को समझा जा सकता है और उसे उसके प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए Dedicated Content उपलब्ध कराई जा सकती है। इससे शिक्षा का Adaptation होता है और छात्र की समझ भी मजबूत होती है।
2. Advanced Learning Methods – AI विभिन्न Education Methods को बेहतर बना सकता है, जैसे कि Video Education, Online Course, Interactive Learning Tools आदि। इससे स्टूडेंट्स के रुचि और समझ दोनों में सुधार होता है।
3. Access to Stored Data – AI शिक्षाविदों को छात्रों के प्रदर्शन को विश्लेषित करने में मदद कर सकता है, जिससे वे अच्छी तरह से Education Schemes को ग्रहण कर सकते हैं।
4. Availability of Education – AI ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच को बढ़ा सकता है, खासकर उन लोगों तक जो गुरुकुल या शिक्षा केंद्रों के द्वारा अच्छी शिक्षा से वंचित हैं।
5. Operation of New Technology – AI नई और Specialist Technologies के संचालन में मदद कर सकता है, जैसे कि Virtual Reality, Augmented Reality और अन्य Simulation आधारित शिक्षा माध्यम।
Artificial Intelligence के इन प्रभावों के कारण, शिक्षा क्षेत्र में इसका प्रयोग विस्तार से हो रहा है और उम्मीद की जाती है कि इससे शिक्षा का स्तर और पहुंच दोनों में सुधार होगा। हाल ही में केरल के तिरुअनंतपुरम के एक स्कूल में भारत की पहली AI शिक्षिका को तैनात किया गया है, जिसका नाम ‘आइरिस’ है। निश्चित रूप से यह तकनीकी के क्षेत्र में देश की शानदार उपलब्धि है। यह शिक्षिका चैटजीपीटी जैसे एआइ प्रोग्रामों से लैस है और इसके पास मैथ और साइंस जैसे विषयों के प्रश्नों का उत्तर देने की क्षमता भी है।
शिक्षा के क्षेत्र में Artificial Intelligence का प्रयोग आखिरकार किस सीमा तक उचित है?
क्या शिक्षा के क्षेत्र में AI पर निर्भरता होना छात्रों के भविष्य के लिए सही है ? क्या AI हर उस प्रश्न का जवाब दे पाएंगे जो छात्रों के मन में जिज्ञासा बस होगी ?
अगर हम इन प्रश्नों पर गहन चिंतन करें तो हमें इनका उत्तर नकारात्मक ही प्राप्त होगा। कारण यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित शिक्षा उच्च कोटि की Algorithms and Information की उच्च भंडारण क्षमता से युक्त है। हमें AI से प्रश्नों के उतर तो मिल जाएंगे लेकिन जब बात जिज्ञासाओं और रचनात्मकता की होगी तब इसके पास कोई जवाब नहीं होगा। स्पष्ट है कि AI या AI से युक्त शिक्षक, मानवीय शिक्षक और शिक्षण का स्थान कभी नहीं ले सकता है, क्योंकि किसी भी विषय पर सोचने, समझने और तर्क देने की क्षमता फिलहाल AI के पास पास नहीं है। अतः हमें शिक्षा जैसी पद्धति के लिए पूर्णतः AI पर निर्भरता नहीं बढ़ानी चाहिए। इसका प्रयोग शिक्षा में गंभीर टॉपिकों और विषम परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए। आज के ब्लॉग में इतना ही।