शिक्षा पर सोशल मीडिया का प्रभाव –
Social Media एक ऐसा मीडिया है, जो बाकी सभी मीडिया जैसे – प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक आदि से अलग है। सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफॉर्म है जो इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है। उसका उपयोग करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म (फेसबुक, X, इंस्टाग्राम) आदि का उपयोग कर पहुंच बना सकता है। सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और अपने विचारों को खुलकर अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है। अगर हम आंकड़ों की बात करे तो अभी भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं। 2019 में जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। हम सभी पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया का इस्तेमाल खूब कर रहे हैं। सोशल मीडिया का हम में से हर किसी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, चाहे हम जॉब पर्सन हो या स्टूडेंट्स, हम सभी सोशल मीडिया के आदि हो रहे हैं। इंटरनेट के तेजी से उभरने से Education Industry पर इसका Positive और Negative दोनों तरह का प्रभाव पड़ रहा है। छात्र फेसबुक, X, YOUTUBE जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ खोजने में कई घंटे बिता देते हैं, जिससे उन्हें अपना होमवर्क लिखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
शिक्षा पर सोशल मीडिया का प्रभाव –
सकारात्मक प्रभाव –
आजकल शिक्षा के क्षेत्र में सोशल मीडिया का प्रभाव काफी हो चुका है। गूगल सहित अन्य सर्च इंजन के द्वारा लाखों छात्र अपनें शिक्षण कार्य को पुरा करते है। आज छात्र नई-नई तकनीक पर अधिक समय बिताकर कंप्युटर सहित अन्य डिवाइस से परिचित होते हैं। आज बहुत से स्कूल,कॉलेज, कोचिंग संस्थान आदि अपनें सारे कोर्स को ऑनलाइन सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ाते हैं। यहाँ छात्रों को पढ़ने मे कोई दिक्कत नहीं होती है। सोशल मीडिया की मदद से कई छात्र अपनी समस्याओं पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करते हैं और संबंधित व्यक्ति को सूचित कर सकते हैं। इससे उन्हें ऑनलाइन लेखन सेवाओं जैसे मदद के सही स्रोत से जुड़ने में मदद मिलेगी।छात्र अपनी रचनात्मक कार्यों जैसे तस्वीरें, वीडियो, कहानियाँ आदि को भी सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, जहां इनके कंटेन्ट पर कमेन्ट आते हैं जिससे इन्हे सीखने को मदद मिलता है। ऐसे ही और भी लाभ है जो छात्रों को सोशल मीडिया के माध्यम से सीखने को मिलता है।
नकारात्मक प्रभाव –
सोशल मीडिया छात्रों के ऊपर बहुतर से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं जिससे छात्रों की विकसात्मक गति प्रभावित होती है। सोशल मीडिया पर छात्रों द्वारा काफी समय बिताया जाता है, जिससे वे किताबों की पढ़ाई से दूर भागते हैं। किताब न पढ़ने के कारण उनके अंदर सोचन क्षमता विकसित नहीं हो पाती है। छात्रों द्वारा अधिक सोशल मीडिया उपयोग करने से उनके अंदर स्मरण शक्ति कम हो जाती है। यूट्यूब, फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया चैनल ध्यान भटकाने वाली चीजें पैदा करते हैं, जिससे छात्रों की अपने आवश्यक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से छात्रों के अंदर सामाजिक मेलजोल के लिए कम समय बचता है, जिससे वे समाज से कटने लगते हैं।
निष्कर्ष – दुनियाँ में जितनी भी चीजें मौजूद है उसका अपना फ़ायदा और नुकसान दोनों होता है। किसी भी चीज़ की आदत डालने से पहले, आपको उसके परिणामों के बारे में जरूर सोचना चाहिए। जितना जरूरत हो सोशल मीडिया का उतना ही उपयोग करें। नई-नई और जटिल विषयों की जानकारियों के लिए सोशल मीडिया सही है, लेकिन रील्स जैसे कॉन्टेन्ट को देखने में अपना समय व्यर्थ करना मतलब जीवन को व्यर्थ करना है। आज के ब्लॉग में इतना ही।