लोक परीक्षा विधेयक-2024

हाल ही में लोक परीक्षा विधेयक-2024 को लोकसभा में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य लोक परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता लाने के लिये “अनुचित साधनों” को रोकना है।

इस प्रकार के विधेयक की आवश्यकता क्यों हुई ?

प्रश्न पत्र लीक के मामले:

  1. हाल के वर्षों में देशभर की भर्ती परीक्षाओं में प्रश्न-पत्र लीक होने के मामले बहुत बड़ी संख्या में सामने आए हैं।
  2. पिछलेपाँच वर्षों में 16 राज्यों में पेपर लीक की कम-से-कम 48 घटनाएँ हुईं हैं, जिससे सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई है।
  3. इससे लगभग2 लाख पदों के लिये होने वाली भर्ती से कम-से-कम 1.51 करोड़ आवेदकों का जीवन प्रभावितहुआ है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान क्या हैं ?

  1. लोक परीक्षा को परिभाषित करता है:
  2. धारा 2(k) के तहत, लोक परीक्षा को विधेयककी अनुसूची में सूचीबद्ध लोक परीक्षा प्राधिकरण” या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा के रूप में परिभाषित किया गया है।
  3. अनुसूची में पाँच लोक परीक्षाप्राधिकरणों, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS), राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की सूची है।
  4. NTA JEE (मेन),  NEET-UG, UGC-NET, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) जैसी परीक्षा आयोजित करता है।
  5. इन नामित सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों के अलावा “केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग और कर्मचारियों की भर्ती के लिये उनसे जुड़े तथा अधीनस्थ कार्यालय” भीनए कानून के दायरे में आएँगे।
  6. केंद्र सरकार आवश्यकता पड़ने पर एक अधिसूचना के माध्यम से अनुसूची में नए प्राधिकरण जोड़ सकती है।

सज़ा – विधेयक की धारा में कहा गया है कि सभी अपराध संज्ञेय, गैर-ज़मानती और गैर-शमनयोग्य होंगे।

इसका तात्पर्य यह है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है और ज़मानत अधिकार का मामला नहीं होगा, बल्कि एक मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करेगा कि अभियुक्त को ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है या नहीं।

विधेयक से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

विधेयक का उद्देश्य राज्यों के लिये इसे अंगीकरण के लिये एक मॉडल के रूप में प्रदर्शित करना है किंतु राज्य सरकारों को दिए गए विवेकाधिकार से विभिन्न राज्यों में इसके कार्यान्वयन में भिन्नता हो सकती है। इससे सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने में कानून की प्रभावशीलता संभावित रूप से कमज़ोर हो सकती है।

प्रतिबंधों से संबंधित खामियाँ:

अपराधियों के लिये दंड के संबंध में विधेयक के प्रावधानों में खामियाँ हो सकती हैं जिनका उपयोग दांडिक प्रतिबंधों से बचने के लिये किया जा सकता है। उदाहरणार्थ यदि सेवा प्रदाता पर लगाया गया जुर्माना अनुचित साधनों से प्राप्त वित्तीय लाभ के अनुरूप नहीं होने की स्थिति में इसका पर्याप्त निवारक के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष –

विधेयक नामित कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा जाँच तथा प्रवर्तन के उपायों की रूपरेखा तैयार करता है किंतु परीक्षा प्रक्रिया में उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये व्यापक निरीक्षण तंत्र की आवश्यकता है। इसमें परीक्षाओं के संचालन का अनुवीक्षण करना, शिकायतों का निवारण करना एवं कदाचार का प्रभावी ढंग से पता लगाने और उसकी रोकथाम के लिये परीक्षा प्रक्रियाओं का अंकेक्षण करना शामिल है।

 

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