बच्चों पर न बनाएं दवाब

बोर्ड परीक्षाओं का मौसम आते ही, कई बच्चे और उनके माता-पिता तनाव में आ जाते हैं। माता-पिता अपने बच्चों से 90%, 95% या 99% अंक लाने की अपेक्षा करते हैं, जो बच्चों पर अत्यधिक दबाव बनाता है। यह दबाव बच्चों को मानसिक रूप से परेशान कर सकता है और उनके आगे की तैयारियों और मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

बिहार राज्य में तो बोर्ड परीक्षाएं संपन्न हो चुकी हैं और कई में अगले महीने संपन्न हो जाएंगी। बोर्ड परीक्षाओं के बाद कॉपियों का मूल्यांकन होगा और उसके बाद स्टूडेंट्स को अपने रिजल्ट का इंतजार रहेगा। रिजल्ट से पहले ही कई बच्चे प्रेशर लेने लेते हैं तो कई माता-पिता अपने बच्चों से ऐसी अपेक्षा करते हैं कि वे 90, 95 या 99 फीसदी अंक लेकर आएं। अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो नंबर्स को लेकर अपने बच्चों पर दबाव बनाना बंद कर दें। नंबर्स का दबाव स्टूडेंट्स को मानसिक रूप से परेशान करता है जिससे उनकी आगे की तैयारियों और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अंक आपके बच्चे की प्रतिभा और क्षमता का पूर्ण माप नहीं हैं। बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने के बजाय, उन्हें अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार विषय चुनने की स्वतंत्रता दें।

वर्तमान परिस्थिति में लाखों स्टूडेंट्स के 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक आने लगे हैं। एक समय था जब 60 प्रतिशत अंक आने पर स्टूडेंट्स और उनके माता पिता धूम-धाम से इस खुशी को साथ में मनाते थे, लेकिन अब 60 प्रतिशत अंक ज्यादा नहीं लगते हैं। इसलिए अगर आपके बच्चे के अंक 90 प्रतिशत न आएं तो उन पर दवाब न बनाएं, क्योंकि अंक आपके बच्चे का टैलेंट मापने में सक्षम नहीं हैं। रिजल्ट जारी होने के बाद अक्सर ही माता पिता अपनी तरफ से अपने बच्चों को विषय सजेस्ट करते हैं लेकिन इसमें बच्चे को पूरी आजादी देनी चाहिए। अगर वह सांइस स्ट्रीम से न पढ़कर आर्ट्स स्ट्रीम से पढ़ना चाहता है तो उसका साथ दें। अगर आप अपने विषय उस पर थोपेंगे तो अवश्य ही वह बिना मन से उन विषयों को पढ़ेगा और उसका असर उसके आने वाले भविष्य में देखने को मिलेगा।

यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए:

  • अंक सब कुछ नहीं होते: बच्चों को यह समझाएं कि अंक जीवन में सफलता का एकमात्र पैमाना नहीं हैं।
  • बच्चों पर दबाव न डालें: बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालने से वे चिंतित और तनावग्रस्त हो सकते हैं, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
  • बच्चों का समर्थन करें: बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार विषय चुनने में मदद करें।
  • सकारात्मक रहें: बच्चों को प्रेरित करें और उनका मनोबल बढ़ाएं।

बच्चों को सफल होने के लिए स्वतंत्र वातावरण और समर्थन की आवश्यकता होती है।

अनावश्यक दबाव डालने के बजाय, उनके सपनों को पूरा करने में उनकी मदद करें।

यहां कुछ अतिरिक्त विचार दिए गए हैं:

  • बच्चों को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • उन्हें अपनी गलतियों से सीखने दें।
  • उन्हें कड़ी मेहनत और लगन का महत्व सिखाएं।

यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ एक स्वस्थ और खुला संवाद बनाए रखें।

बच्चों को अपनी भावनाओं और चिंताओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।

एक साथ मिलकर, आप बच्चों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं।

 

 

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