प्रिन्ट मीडिया ही है मीडिया का शिल्पकार
किसी भी लोकतांत्रिक देशों में Legislature, Executive और Judiciary के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये Media को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है। मीडिया के सकारात्मक भूमिका के कारण किसी भी Individual, Organization, Group और देश को Economic, Social, Cultural and Political रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। Print Media एक ऐसा साधन है जिसके तहत किसी भी प्रकार की सूचनायें लिखित रूप में Circulate की जाती हैं. Print Media संचार के सबसे पुराने और बुनियादी रूपों में से एक है. Media समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है। इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। Media को प्रेरक की भूमिका में भी उपस्थित होना चाहिये जिससे समाज एवं सरकारों को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त हो। Media समाज के विभिन्न वर्गों के हितों का रक्षक भी होता है। वह Society’s Policy, Traditions, Beliefs तथा Civilization and Culture के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता है। Media अपनी खबरों द्वारा समाज के असंतुलन एवं संतुलन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। Media अपनी भूमिका द्वारा समाज में Peace, Harmony और Sense of Courtesy विकसित कर सकता है। राष्ट्र के प्रति भक्ति एवं एकता की भावना को उभरने में भी Media की अहम भूमिका होती है। Print Media ने भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने में और उसे चलाने के लिए संविधान बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी जैसे- चौरी चौरा, सत्याग्रह आदि जैसे आंदोलनों को भारत की जनता को विस्तृत करने में अपनी भूमिका निभाई। आजादी के लिए की जा रही प्रतिक्रियाएं से जनता को सूचित करने का काम Print Media से किया जाता था। सदा से Print Media के माध्यम से भारत में विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्राप्त होते रहे है। आज Print Media में प्रचलित कुछ लोक दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान , दैनिक जागरण, नव भारत टाइम्, जनसत्ता, अमर उजाला, नई दुनिया, प्रभात खबर इत्यादि हैं जिनके माध्यम से किसी भी सूचनाओं को जनता तक पहुँचायें जा रहे है। अब हम बात करते हें Print Media के आगमन पर . Print Media, Media का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसने इतिहास के सभी पहलुओं को दर्शाने में मदद की है। जर्मनी के गुटेनबर्ग में खुले पहले छापाखाना ने संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी। जब तक लोगों का परिचय इंटरनेट से नहीं हुआ था, तब तक Print Media ही संचार का सर्वोत्तम माध्यम था। भारत समेत विश्वभर में क्रांतियों, आंदोलनों और अभियानों आदि में Print Media ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में पहला अखबार 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने ‘बंगाल गजट’ के नाम से प्रकाशित किया था। इसके बाद तो भारत में संचार के क्षेत्र में क्रांति-सी आ गई और एक के बाद एक कई News Paper प्रकाशित हुए। Print Media अनेक सालों से प्रचलित है पहला आविष्कार जिसने Print Media को आगमन मैं भूमिका निभाई वह लगभग 1440 में जोहंस गुटेनबर्ग द्वारा प्रिंट प्रेस था और 600 वर्षों में Print Media सूचना समाचार के रूप में विस्तृत हुआ। हालांकि भारत में छपी पहली पुस्तक 1578 मैं कृष्णा थी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1674 मैं मुंबई में प्रिंट प्रेस की स्थापना की इस प्रकार धीरे-धीरे प्रिंट प्रेस भारत के सभी राज्यों में विस्तृत हो गया। अब हम बात करते हें भारत में मीडिया का विकास पर :भारत में 19 वी सदी में आए औपनिवेशिक हुकूमत के तहत भारत की रूपरेखा में बदलाव और फैली अशांति जो भारत के लिए चुनौती के सामान थी उसी उपरांत Print Media को दो स्तंभों में बांट दिया एक वह जो औपनिवेशवादी और दूसरे वह भारत के महापुरुष जो आजादी को प्राप्ति के लिए लोहा ले रहे थे। विश्व भर में लोहा लेने वाले क्रांतिकारी और भारत के आंदोलन और अभियान में मुख्य भूमिका निभाई। आजादी से पूर्व जितने भी News Paper का प्रकाशन शुरू हुआ, उन सभी में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की बात कही जाती थी। लोगों को ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के बारे में बताया जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अखबारों का पैटर्न बदला और अब अखबारों में सभी क्षेत्रों की खबरों को महत्व दिया जाने लगा। अखबार अब To educate, to entertain, to inform के सिद्धांत पर चलने लगे। 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन के माध्यम से टीवी का आगमन हुआ। टीवी के आगामी दौर से अखबारों को किसी प्रकार का भय नहीं हुआ था लेकिन 90 के दशक में इंटरनेट के आने पर अखबारों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया। समय के साथ-साथ अखबारों ने भी अपने आप में बदलाव करना शुरू कर दिया। जो न्यूज हाथों से लिखी जाती थी, उनकी जगह कम्प्यूटर ने ले ली। जहां पहले सारा काम मैनुअल होता था, वहां अब बहुत से काम में उनकी जगह कम्प्यूटर ने ले ली, जैसे अखबार की डिजाइन बनाना, ले-आउट बनाना, फॉन्ट आदि। टेक्नोलॉजी ने जिस गति से प्रगति की ठीक उसी प्रकार अखबारों ने भी उसे अपनाने में देर नहीं की। 21वीं शताब्दी में कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना डिजिटल तकनीक के रह नहीं सकती है, यह बात अखबारों पर लागू होती है। कई अखबारों ने अपनी वेबसाइट बनाई, अखबारों को ई-पेपर के फॉर्मेट में उपलब्ध कराया। लेकिन इन सबके बावजूद आज भी 2023 में भी Print Media की महत्ता बढ़ी ही हुई है। ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) के एक आंकड़े के अनुसार अपने देश भारत में Print Media का सर्कुलेशन 2006 में 3.91 करोड़ प्रतियां था, जो 2016 में बढ़कर 6.28 करोड़ प्रतियां हो गया यानी 2.37 करोड़ प्रतियां बढ़ीं। 2016 तक Print Media के सर्कुलेशन की दर 37 प्रतिशत थी और लगभग 5,000 करोड़ का निवेश हुआ था । अखबारों में सबसे ज्यादा वृद्धि उत्तरी क्षेत्र में 7.83 प्रतिशत के साथ देखने को मिली वहीं सबसे कम वृद्धि पूर्वी क्षेत्रों में 2.63 प्रतिशत के साथ देखने को मिली। सभी भाषाओं के अखबारों में हिन्दी भाषा में सर्वाधिक वृद्धि हुई। बात करते हें Print Media का विकास पर-अमेरिका में Print Media देर से आया लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका में Print Media का विकास बहुत ही तेजी से होने लगा। Print Media का विकास और भी अधिक तेजी से इसलिए हुआ क्योंकि विश्वयुद्ध के दौरान दूसरे देशों को अपने पक्ष में करने के लिए और उसके दौरान हो रहे क्षति की सूचना को देने के लिए अनेक देशों को Print Media का सहारा लेना पड़ा। ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) के 2016 के आंकड़ों को देखने के बाद यह कोई भी नहीं कह सकता कि अखबारों का पतन हो रहा है। इलेक्ट्रॉनिक, वेब, सोशल आदि मीडिया उपलब्ध होने के बाद भी Print Media के इतना पॉपुलर होने के पीछे कई कारण हैं जिनमें लोगों का शिक्षित होना सबसे बड़ा कारण है। जहां विकसित देशों में अखबारों के प्रति लोगों का रुझान घट रहा है वहीं भारत में इसके विपरीत Print Media का प्रसार बढ़ रहा है। बात करते हें Print Media का पतन पर : आज कुछ लोगों का कहना हे की Print Media का पतन हो रहा हे. 2008 में जेफ्फ गोमेज़ ने एक पुस्तक लिखी लिखी जिसका नाम प्रिंट इस डेड था इसमें उनके विचारों के अनुसार Print Media के लुप्त होने की संभावना जताई थी। इनके अलावा एक और व्यक्ति जिनका नाम रोस डावसन उनका मानना था कि Print Media किस प्रकार विलुप्त हो जाएगी उन्होंने इसका एक चार्ट रूपी चित्र बनाया उनके अनुसार उसमें 2017 से लेकर 2040 तक अमेरिका जैसे संयुक्त देश और विश्व से समाचार पत्र विलुप्त हो जाएंगे। अगर आप देखेंगे तो इस समय ज्यादातर सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता हे। जिस कारण सब कुछ ऑनलाइन के ज़रिये किया जाता है। या फिर किसी भी प्रकार का कार्य हो जिससे पता लगाया जाता हे कि प्रिंट मिडिया का पतन विभिन्न भागो में होता जा रहा हे जो की हस्त लेखन के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है। जिस प्रकार अन्य मिडिया का उपयोग किया जा रहा हैं जिस कारण आज की और आने वाली पीढ़ी को रोजगार का सामना करना पड़ सकता हे जिससे लोगो को वार्तालाप करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। आज भी लोग किसी भी खबर की सत्यता को जानने, विस्तृत जानकारी प्राप्त करने और जागरूकता बढ़ाने में अखबार का सहारा लेते हैं। आज Print Media भले ही बहुत ही धीमा माध्यम हो, परंतु यह आज के कम्प्यूटर के युग में यह प्रगति कर रहा है। इन सब बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि Print Media का भविष्य उज्ज्वल है। यह सच है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के आगमन से प्रिंट मीडिया को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन प्रिंट मीडिया अपनी विश्वसनीयता, गहन विश्लेषण और व्यापक कवरेज के कारण आज भी प्रासंगिक है।
निष्कर्ष
प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है। यह समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा और लोगों को सूचित करने और शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं कि क्यों प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है:
- विश्वसनीयता: प्रिंट मीडिया इंटरनेट और सोशल मीडिया की तुलना में अधिक विश्वसनीय माना जाता है।
- गहन विश्लेषण: प्रिंट मीडिया इंटरनेट और सोशल मीडिया की तुलना में अधिक गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
- व्यापक कवरेज: प्रिंट मीडिया इंटरनेट और सोशल मीडिया की तुलना में अधिक व्यापक कवरेज प्रदान करता है।
- पढ़ने का अनुभव: प्रिंट मीडिया एक बेहतर पढ़ने का अनुभव प्रदान करता है।
- संग्रहणीयता: प्रिंट मीडिया संग्रहणीय है।
निष्कर्ष
प्रिंट मीडिया समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा और लोगों को सूचित करने और शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.