डॉ. श्रीकांत जिचकर: भारत के सबसे विद्वान व्यक्ति
19 पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्रियां / 19 मास्टर डिग्रियां / 42 यूनिवर्सिटीज पास / आईएएस और आईपीएस / लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड / सांसद, विधायक और मंत्री भी बने / एमबीबीएस और एमडी / बीएएलएलबी / एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ) / एमबीए / बिजनेस मैनेजमेंट में डॉक्टरेट / बैचलर इन जर्नलिज्म / संस्कृत लिटरेचर में पीएचडी / पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन / समाज शास्त्र / इकोनॉमिक्स / संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट / इतिहास / अंग्रेजी लिटरेचर / मनोविज्ञान / राजनीति शास्त्र / एनसिएंट हिस्ट्री / कल्चर / आर्किलोजी / फिलॉस्पी डिग्री धारक अपने भारत का सबसे पढे लिखे और सफल इंसान की बात कर रहा हूँ वो है 14 सितंबर 1954 को नागपुर के मराठी परिवार में जन्में देश का नाम रौशन करने वाले डॉ. श्रीकांत जिचकर जी. आपने अपनी पहली डिग्री नागपुर यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी में ली और इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद बीएएलएलबी, एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ), एमबीए, बिजनेस मैनेजमेंट में डॉक्टरेट, बैचलर इन जर्नलिज्म, संस्कृत लिटरेचर में पीएचडी किया। आप यहीं नहीं रूके, इनके अलावा आपके नाम 19 मास्टर डिग्रियां भी थीं, जिनमें पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, समाज शास्त्र, इकोनॉमिक्स, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी लिटरेचर, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, एनसिएंट हिस्ट्री, कल्चर, आर्किलोजी, फिलॉस्पी आदि शामिल हैं। उन्होंने अपनी ज्यादातर डिग्रियां फर्स्ट डिवीजन में प्राप्त की थीं। उनके पास कई यूनिवर्सिटीज के गोल्ड मेडल्स भी थे। आपने 1973 से लेकर 1990 के बीच 42 यूनिवर्सिटीज में परीक्षाएं दी थीं। यूपीएससी परीक्षा दो बार पास की 1978 में श्रीकांत जिचकर ने यूपीएससी (सिविल सर्विस) की परीक्षा पास की, जिसमें उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस कैडर मिला। हालांकि, वह ज्यादा समय तक आईपीएस नहीं रहे, दो महीने के बाद ही उन्होंने आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया और साल 1980 में दोबारा सिविल सर्विस का एग्जाम पास किया। इस बार उन्हें आईएएस का कैडर मिला, लेकिन चार महीने के बाद ही उन्होंने आईएएस के पद से भी इस्तीफा दे दिया। सांसद, विधायक और मंत्री भी बने. श्रीकांत जिचकर 1980 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीते और विधायक भी बने। श्रीकांत रामचंद्र जिचकर 1980 से लेकर 1985 तक महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे और सरकार में राज्यमंत्री भी बने। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की टिकट पर कटोल से चुनाव जीता था। इसके बाद 1986 से लेकर 1992 तक डॉ जिचकर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के तौर पर उन्होंने 14 विभाग भी संभाले थे। साल 1992 में वह महाराष्ट्र से दिल्ली, राज्यसभा सांसद के तौर पर पहुंचे। उन्होंने साल 1992 में नागपुर में संदीपनी स्कूल की स्थापना की थी। जितकर 1998 तक राज्यसभा सांसद रहे थे। उन्होंने 1998 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन इन दोनों चुनाव में वह बेहद कम अंतर से पराजित हुए। संस्कृत के उत्थान में अहम योगदान डॉ श्रीकांत जिचकर ने महाराष्ट्र के नागपुर में कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विद्यालय स्थापित किया। उन्होंने संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट भी किया। उनके संस्कृत में लिखे रिसर्च पेपर संस्कृत स्कूल में इस्तेमाल किये जाते हैं। यही नहीं, उन्होंने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए 1993 में संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थापित करने की पैरवी की थी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुधाकर राव नाइक के कार्यकाल में जिचकर को नागपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने हेतु एक सदस्यीय कमेटी का हिस्सा बनाया गया। सरकार ने डॉ. जिचकर की स्टडी को स्वीकार करते हुए नागपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की स्वीकृति दी और उन्हें इसका कुलपति बनाया गया। डॉ. श्रीकांत जिचकर ने संस्कृत भाषा में किए गए अपने अध्ययन में बताया कि भारत में 3 करोड़ पांडुलिपियां संस्कृत भाषा में लिखी हुई हैं, जिनमें से केवल 16 लाख पांडुलिपियों को ही सूचीबद्ध किया गया है। संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थापित करने से बाकि बची पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करने और प्रकाशित करने में सहायता मिलेगी। अपनी 19 मास्टर्स की डिग्रियों के बाद डॉ जिचकर नागपुर यूनिवर्सिटी में डॉ ऑफ लॉ कर रहे थे, जिसमें उन्होंने दो रिसर्च पेपर्स भी सबमिट किए थे। सड़क दुर्घटना में हुई मौत डॉ. श्रीकांत जिचकर अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अब तक उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे क्वालिफाइड शख्स के तौर पर दर्ज है। 2 जून 2004 को नागपुर से 61 किलोमीटर दूर कोंधाली के पास सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी कार एक तेज रफ्तार ट्रक से टकरा गई और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। उनके साथ उनके रिश्तेदार श्रीराम धावड़ भी थे, जिनको इस दुर्घटना में कई गंभीर चोटें आई थी। भारत के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक थे। 42 विश्वविद्यालयों से 19 मास्टर डिग्री और 19 पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री प्राप्त करने के साथ, उन्होंने शिक्षा और ज्ञान के प्रति अद्वितीय समर्पण प्रदर्शित किया।
शिक्षा और योग्यता:
- एमबीबीएस और एमडी (नागपुर विश्वविद्यालय)
- बीएएलएलबी, एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ)
- एमबीए, बिजनेस मैनेजमेंट में डॉक्टरेट
- बैचलर इन जर्नलिज्म
- संस्कृत साहित्य में पीएचडी
- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, मनोविज्ञान, राजनीति विज्ञान, प्राचीन इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व, दर्शन में मास्टर डिग्री
उपलब्धियां:
- लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे योग्य व्यक्ति के रूप में दर्ज
- यूपीएससी परीक्षा दो बार उत्तीर्ण (आईपीएस और आईएएस)
- 1980-1985: महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य (कांग्रेस पार्टी)
- 1986-1992: महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य
- 1992-1998: राज्यसभा सांसद
- 14 विभागों के मंत्री, महाराष्ट्र सरकार
- संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट
- नागपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका
- 3 करोड़ संस्कृत पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करने और प्रकाशित करने का प्रयास
दुखद निधन:
2 जून 2004 को, डॉ. जिचकर की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
विरासत:
डॉ. जिचकर ने शिक्षा और ज्ञान के प्रति अद्वितीय समर्पण का प्रदर्शन किया। 42 विश्वविद्यालयों से 19 मास्टर डिग्री और 19 पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री प्राप्त करने के साथ, उन्होंने शिक्षा और ज्ञान के प्रति अद्वितीय समर्पण प्रदर्शित किया।
उनकी शिक्षा और योग्यताएं उन्हें भारत के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक बनाती हैं।
उनकी विरासत न केवल शिक्षा और ज्ञान के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है,
बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।