भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इतिहास
आज के ब्लॉग हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में जानेंगे –
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया – वह मीडिया है जिसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (मोबाईल, टीवी, रेडियो आदि) पर देखा या सुना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों को मीडिया सुविधाओं के माध्यम से एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़कर संचार को आसान बनाता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दुनियाँ के अधिकांश विकसित देशों में सार्वभौमिक है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने मॉडर्न लाइफ स्टाइल में अपनी जगह बहुत अच्छी तरह से बना लिया है। वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व्यापक रूप से बढ़ रहा है और यह लोगों की ज़रूरत बन गया है।
शुरुआत – भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की शुरुआत 1920 के दशक में रेडियो प्रसारण से हुई। Indian Broadcasting Service की स्थापना 1930 में की गई, जिसे बाद में ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के रूप में जाना गया। 1957 में इसे आकाशवाणी नाम दिया गया। अब बात करें टेलीविजन इतिहास का तो भारत में टेलीविजन का आगमन 1959 में हो गया था। starting में यह माना गया था कि भारत जैसे गरीब देश में इस महंगी टेक्नोलॉजी वाले माध्यम का कोई भविष्य नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे यह अवधारणा अपनें आप बदलती चली गई। 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में स्थित ऑल इंडिया रेडियो के स्टूडियो में ही भारत का पहला टीवी चैनल शुरू हुआ था, जिसे आज हम दूरदर्शन के नाम से जानते हैं। दूरदर्शन भारत का सार्वजनिक सेवा Broadcaster है और यह प्रसार भारती के अंतर्गत आता है। दूरदर्शन का नियमित प्रसारण वर्ष 1965 से शुरु हुआ। 1991 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आर्थिक और सामाजिक सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की थी। इसके बाद अक्टूबर 1992 में भारत में ज़ी टीवी की शुरुआत हुई, जो केबल पर प्रसारित होने वाला भारत का पहला निजी स्वामित्व वाला चैनल था। इसके बाद कई अन्य निजी चैनल जैसे आज तक, NDTV इंडिया, इंडिया टीवी, CNN-IBN आदि भी शुरू हुए। इन मीडिया चैनलों नें भारतीय मीडिया के परिदृश्य को पूरा बदल दिया। इनके आने से देश के सुदूर इलाकों में न्यूज की पहुँच आसान भाषाओं में पहुँचने लगी। आजकल इसमें डिजिटल मीडिया भी शामिल हो गया है। जिसमें हम अपनी जानकारियों को बढ़ाने के लिए YOUTUBE जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करने लगे हैं। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का कारोबार लगभग 70 हजार करोड़ का था। वर्तमान में भारत में 800 से ज़्यादा टेलीविज़न चैनल और 200 से ज़्यादा कमर्शियल रेडियो स्टेशन हैं। यह भारतीयों लोगों के लिए मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।